बिहार चुनाव 2020 | बिहार ने नया नेता चुन लिया - तेजस्वी यादव
आखिर में कोरोना काल का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव पूरा हुआ और जैसा की अनुमान था सभी के सारे जोड़ घटाव की सारी कहानी उलट पुलट कर रह गयी | तीसरे चरण के वोटिंग के बाद जैसा की आज कल के TV की नौटंकी शुरू होती है एग्जिट पोल को लेकर , वही हुआ और उसके नतीजे भी अनुमान के हिसाब से बहुत ही चौकाने वाले साबित हुए हैं | हालांकि अभी रिजल्ट आने में समय है लेकिन इस चुनाव ने बिहार को एक नया नेता दे ही दिया है |
अभी तक जहाँ बिहार में नीतीश कुमार पर बात आ कर रुक जाया करती थी और सभी केवल जोड़ तोड़ में ही रह जाते थे , बिहार 2020 ने एक नया विकल्प को खड़ा कर दिया है | इस विकल्प का नाम है तेजस्वी यादव | अब आप यह कहें की इसमें तेजस्वी के मेहनत का नतीजा है या JDU-BJP के बेवकूफियों का तो बहुत ज्यादा सम्भावना दूसरे वाले कारण पर ही जाएगा |
JDU-BJP ने इस बार चुनाव को समय पर करने के लिए बहुत ज्यादा जोर इस लिए दिया हुआ था की बाकी पार्टी के पास प्रचार के लिए न साधन हो पाएंगे और LOCKDOWN का हवाला दे कर प्रचार को बहुत सीमित कर दिया जाएगा | जो पार्टी Govt में है उसके लिए बहुत ही आसान होगा की सरकारी तंत्र का गलत उपयोग करके अपनी बातों को ज्यादा से ज्यादा जनता तक पहुंचा देंगे | और जब तक बांकी लोग संभलेंगे चुना समाप्त हो जायेगा |
लेकिन उनकी यह उम्मीद जल्द ही बिखर गयी और उन्हें भी कोरोना को ताख पर रख कर मैदान में आना पड़ा | अब इस तरह के चुनाव का फायदा तो विपक्षी पार्टी को भी होना ही था और चुनाव आयोग के हाथ बंध गए | लेकिन इसमें एक बड़ा योगदान कोरोना में हुए बहुत ज्यादा कुव्यवस्था का , कैसे लोग सड़को पर भटक रहे थे , कैसे लोगों को खाना नहीं मिल रहा था , इन सब चीजों का नुकसान भी सरकार को ही उठाना था |

बिहार की जनता और भारत की जनता के मन में नरेंद्र मोदी जी के लिए वह वाली बात नहीं रही जो की 2014 में हुआ करती थी | केंद्र की राजनीती अलग होती है और राज्य की अलग होती है | शायद JDU इस को ठंग से पहचान नहीं पा रही है | इसके ऊपर चिराग पासवान की नयी नौटंकी की एक ही गठबंधन में रहते हुए साथ चुनाव भी लड़ेंगे और विरोध भी करेंगें | यह चीज भी बिहार की जनता को पसंद नहीं आयी और जनता ने यह सोचना शुरू कर दिया की नीतीश-मोदी-चिराग की यह तिकड़ी केवल राजनीती के चक्कर में है और कोई विकास नहीं करने वाली |
जहाँ 2 महीने पहले तेजस्वी को बहुत ज्यादा हलके में ले रहे थे और बताया जा रहा था की इनका गठबंधन बिखर जायेगा चुनाव के पहले चरण के आते आते कहानी उलट गयी और JDU-BJP गठबंधन खोखला नजर आने लगा | ऊपर से तो यह एक साथ चुनाव में थे और लगे हाथ एक दूसरे को लंगड़ी मारने में लगे थे |
चुनाव जैसे जैसे आगे बढ़ता गया नीतीश और नरेंद्र मोदी मिल कर भी [ और लगे हाथ बीजेपी के बड़े बड़े दिग्गज ] जनता के मन को जोड़ सके और न की भीड़ जुटा पाए | जो भी बीजेपी की तरफ से आ रहा था , वही घिसी पीटी Agenda राम मंदिर , पाकिस्तान , CAA यह बके जा रहा था | झूठा पैकेज का दिलासा , यह दिया , वो लिया , मोदी जी को अब समझना होगा , समझना ही पड़ेगा की यह सारी चीजे साथ में चल सकती है पर यह सब उसी वक़्त अच्छा लगेगा जब रोजगार हो , पेट में रोटी हो और विकास की लहर चल रही हो | ये राष्ट्रीय स्तर के नेता कुछ पारिवारिक टिपण्णी करने से भी बाज नहीं आये , लग रहा था सत्ता जाते देख यह गली के नेता से भी अपना लेवल गिराने लगे | इशारा आप बेहतर समझ रहें होंगे |
इसके दूसरी तरफ, कम पढ़े लिखे तेजस्वी ने केवल जनता की भावनाओं का सम्मान किया , रोजगार और विकास की बात की | बिहार की गरीब जनता को केवल जमीनी बात ही चाहिए , साधारण नौकरी और दो वक़्त की रोटी , इसी को ध्यान में रखते हुए तेजस्वी का कद इस चुनाव में सबसे बड़ा रहा | ऐसा नहीं है की नीतीश जी ने काम नहीं किया , रोड , बिजली की व्यवस्था बहुत हद तक की गयी है लेकिन नीतीश जी को बीजेपी के बहुत सारे अजेंडे से अपने आप को बचाना होगा , कम से कम बिहार के राजनीती से |
भले ही फाइनल Result और जोड़ तोड़ की राजनीती में किसी की भी सरकार बने , लेकिन बिहार 2020 ने तेजस्वी के रूप में नेता जरूर चुन लिया है , अब कोई यह नहीं कह सकता की बिहार में केवल नीतीशे कुमार है | अब बिहार के बारे में यह नहीं कहा जायेगा की कोई विपक्ष नहीं है या तो नीतीश जी होंगें या तेजस्वी जी | बिहार अब दो ध्रुव पर चलेगा | बिहार की जनता इस बार पूरे भारत को यह सन्देश देना चाहती है की राजनीती में शक्ति का संतुलन बहुत जरूरी होता है |