सिमरिया पुल राजेंद्र पुल पुराने वक़्त का शहंशाह
सिमरिया पुल को राजेंद्र ब्रिज भी कहा जाता है, बिहार के उत्तरी और दक्षिण भाग को जोड़ता है | मोकामा और बेगुसराई के बीच में बना यह पुल हथीदह से सिमरिया घाट तक बना है | सिमरिया पुल को 1959 में इंग्लैंड की कंपनी ब्रैथवेट बर्न्स जेसोप ने बनाया था | बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह और जवाहर लाल नेहरू ने इसका शिलान्यास किया था |
देश के आज़ादी के बाद जहाँ इंजिनीयरों की कमी थी, वहां भारत सरकार ने यह प्रोजेक्ट विदेशी कंपनी को देने से पहले M Visvesraiyah को टेक्निकल एडवाइजर बनाया था जो की उस वक़्त 90 साल से भी ज्यादा के थे | विश्वेश्रैया जी को आधुनिक मैसूर का पिता भी कहा जाता है जिन्हीने भारत के कुछ ससे बड़े बाँध और प्रोजेक्ट को बनाया था |
1 लेन रेल और 2 लेन रोड का यह पुल 1800 मीटर लम्बा है | आजादी के बाद गंगा नदी पर बनने वाले कुछ बड़े पुलों में से यह एक है | आज यह सिमरिया पुल अपने समय से भी ज्यादा दिन तक सर्विस में रहने के बाद थोड़ा जर्जर स्थिति में आ गया है और इसके कारण अब बड़े वाहनों का परिचालन रोक दिया गया है |
हालांकि छोटो वाहनों के लिए अभी भी यह पुल वरदान से काम नहीं है | इस जगह पुल नहीं होने से लोगों को भागलपुर या पटना के पुल से दक्षिण बिहार के जगहों पर जाना संभव हो पता है | इसी समस्या को देखते हुएअब यहाँ सिमरिया पुल के दोनों तरफ दो लेन का रेल ब्रिज और 6 लेन का रोड ब्रिज बहुत तेजी से बनाया जा रहा है |
आशा है की 2024 में दोनों पुल बन के तैयार हो जायेगा और उसके बाद यहाँ का नज़ारा ही कुछ और लगेगा जब ३ पुल एक साथ 200 मीटर के आस पास में खड़े होंगें |सिमरिया पुल का वीडियो और ड्रोन वीडियो देखने के लिए हमरे YouTube Channel पर visit कीजिये
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